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प्रिंट मीडिया क्या हैं इसके प्रकार, योगदान, कोर्सेज जानिए यहां
- Updated on
- April 5, 2023
वर्तमान में हम सभी आधुनिकता के आगे बढ़ते जा रहे हैंं पर क्या आपने सोचा हैंं कि जब यह सोशल मीडिया नहीं थी तब ख़बरों का आदान प्रदान कैसे होता था? क्या कभी अपने सोचा कि जब हमारे पास आज जैसे साधन नहीं थे तो हम कैसे और किन माध्यम के जरिये अपनी बात समाज के सामने रखते होंगे? प्रिंट मीडिया जिसने इतिहास में बड़ी भूमिका निभाई फिर चाहे वह जनजागरण करना हो या विश्वयुद्ध के दौरान मानवता को इससे पहुँचने वाले नुकसान के बारे में प्रखरता से समाज को बताना। प्रिंट मीडिया का एक समृद्धशाली इतिहास रहा हैं। इस ब्लॉग में print media kya hai और इसके हर एक पहलु व इसके योगदान के बारे में जानेंगे।
This Blog Includes:
प्रिंट मीडिया क्या हैं, प्रिंट मीडिया का इतिहास, प्रिंट मीडिया को क्यों चुनें, प्रिंट मीडिया के प्रकार, प्रिंट मीडिया का पत्रकारिता में योगदान, प्रिंट मीडिया में जाने के लिए बेस्ट कोर्सेज, प्रिंट मीडिया के लिए विश्व की टॉप यूनिवर्सिटीज , प्रिंट मीडिया के लिए भारत के टॉप कॉलेज, प्रिंट मीडिया कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए योग्यता, विदेश में पढ़ने के लिए आवेदन प्रक्रिया , भारत में पढ़ने के लिए आवेदन प्रक्रिया , प्रिंट मीडिया कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज, प्रिंट मीडिया कोर्सेज के लिए प्रवेश परीक्षाएं, प्रिंट मीडिया के लिए बेस्ट बुक्स, प्रिंट मीडिया में करियर स्कोप, प्रिंट मीडिया में जॉब प्रोफाइल्स और सैलरी.
Print media kya hai इसका जवाब भी इसी सवाल में छिपा हैं, प्रिंट मीडिया एक ऐसा साधन या एक ऐसा माध्यम हैंं जिसके द्वारा सूचनाओं की जानकारी को लिखित माध्यम से या चित्रों के रूप में प्रकाशित कराया जाता हैंं और एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता हैं, प्रिंट मीडिया कहलाता हैंं जैसे:पत्रिकाएं, समाचार पत्र और मैगज़ीन आदि। दूसरे शब्दों में कहा जाएं तो प्रिंट मीडिया एक ऐसा माध्यम हैंं जो ख़बरों और जरूरी सूचनाओं का संचार व आदान प्रदान करता हैं, जिसको जनता पैसे देकर प्राप्त करती हैं।
Print media kya hai इसको जानने के बाद आपको इसका इतिहास भी जान लेना चाहिए क्योंकि यह आवश्यक हैंं कि आप जिस भी विषय की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैंं उस विषय के इतिहास और उसकी मूल जड़ों के बारें में आपको पता होना अनिवार्य हैंं ताकि आप प्रिंट मीडिया से जुड़ी सही जानकारी प्राप्त कर सकें। नीचे दिए गए बिंदुओं के आधार पर आप समझ सकते हैं:
- देखा जाएँ तो प्राचीनकाल से ही प्रिंट मीडिया का चलन जारी हैंं जहाँ राजाओं द्वारा पत्र व्यवहार या पांडुलिपियों का आदान प्रदान होता था जो प्रिंट मीडिया का ही उदाहरण था हालाँकि व्यवस्थित रूप से इसका आरंभ 1909 में हुआ जहाँ पहली मुद्रित समाचार को छापकर जनता के बीच में लाया गया।
- प्रिंट मीडिया की उत्पत्ति का श्रेय जर्मनी को दिया जाता हैं।
- समाचार पत्र का प्रचलन अविशरिलेशन आर्डर जीटुंग के छपने के साथ ही हुआ।
- जर्मनी में पहला छपाखाना खुला जिसने संचार के क्षेत्र में क्रांति का काम किया।
- 1980 का समय आते-आते जर्मनी के केवल बर्लिन शहर में ही लगभग 55 से अधिक समाचार पत्रों का प्रकाशन होने लगा।
- अमेरिका में प्रिंट मीडिया भले ही देर से आया हूँ पर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इसका चलन रफ़्तार पकड़ने लगा और परंत मीडिया का विकास तेजी से होने लगा।
- भारत में भी इसका आगमन तीन चरणों में हुआ पर इसकी शुरुआत मुख्यता उस दौरान हुई जब यहाँ अंग्रेजी हुकुमत ने क्रूरता की हदें पार कर दी, अन्याय के खिलाफ हुए इस महासमर में आहुति का काम किया।
- 1780 में जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने ‘बंगाल गजट’ के नाम से भारत का पहला अखबार प्रकाशित किया।
Print media kya hai के माध्यम से ही आप यह भी जान सकेंगे कि आखिर प्रिंट मीडिया में आपके लिए करियर की क्या संभावनाएं हैंं और यह फील्ड आपके लिए कौन-कौन से अवसर प्रदान करा सकती हैंं-
- प्रिंट मीडिया चुनने के बाद आप एक ऐसे प्लेटफॉर्म पर आ जाते हैंं जो ख़बरों के साथ-साथ आपको और पाठकों को ग्रोथ करने के बराबर के अवसर प्रदान कराता हैं।
- प्रिंट मीडिया का एक भव्य इतिहास हैं जिसने समय के साथ आये परिवर्तन को न केवल अपनाया बल्कि खुद में सुधर करके आगे बड़ा, यदि आप प्रिंट मीडिया से जुड़ते है तो आप इसका अनुभव अपने जीवन के लिए सुरक्षित रख पाएंगे।
- प्रिंट मीडिया को चुनकर आप समाज को और अधिक गहरायी से समझ सकते हैं।
- जिस प्रकार प्रिंट मीडिया ने संसार में क्रांति और कला का संचार किया, उसी प्रकार आप भी इसका हिस्सा बनकर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभा सकते हैं।
- प्रिंट मीडिया आपको अनुभवों के नए आयाम तक ले जायेगा जहाँ से आप अपनी सोच को और अधिक व्यापक बना सकते हैं और रोजगार के नए रास्ते खुद से बना सकते हैं इत्यादि।
Print media kya hai यह एक ऐसा सवाल हैंं जहाँ आप प्रिंट मीडिया पर लगी एक एक परत को खुद अलग करते हैंं और फिर इसके माध्यम से ही आप प्रिंट मीडिया के प्रकारों के बारें में भी जानते हैंं जो कि निम्नलिखित हैं:
- समाचार पत्र
- समाचार पत्रिका
- पत्र और पोस्टकार्ड
- फ़्लायर और लीफ़लेट
आज सोशल मीडिया पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करना तो आम बात हैंं जिसमें से कुछ सोशल साइट्स पेड होती हैंं और कुछ अनपेड होती हैंं पर क्या आप जानते हैंं कि जब सोशल मीडिया नहीं था, जब केवल पत्र व्यवहार और समाचर पत्रों का बोलबाला था तब कैसे और कहाँ लोग अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते होंगे तो इसका जवाब हैंं प्रिंट मीडिया। जी हाँ! प्रिंट मीडिया ने ऐसे में अपना अहम योगदान दिया हैं, print media kya hai इस सवाल का अगला पड़ाव प्रिंट मीडिया का पत्रकारिता में क्या योगदान हैंं यह जानना हैंं जो कि निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता हैं:
- कई लेखकों की लेखनी को एक प्लेटफॉर्म देने का काम शुरुआत से ही प्रिंट मीडिया ने किया।
- दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान प्रिंट मीडिया ने इससे होने वाली त्रासदी को वैश्विक पटल पर सबके सामने रखा।
- औपनिवेशक दृष्टिकोण से दुनिया के विनाश के लिए निकले ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जनजागरूकता करने में प्रिंट मीडिया की अहम भूमिका थी।
- आज़ाद भारत में लोकतंत्र को कलंकित करने वाली घटना “इमरजेंसी” के खिलाफ भी प्रिंट मीडिया ने समाज को जगाने का काम किया।
- विश्व के मानचित्र पर जहाँ कहीं भी जुल्म ने अपनी सीमाएं पार की, उसके खिलाफ आवाज़ उठाने का काम प्रिंट मीडिया ने पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए किया।
Print media kya hai यह जानने के बाद यह जानना भी आवश्यक हैंं कि आखिर वह कौन से कोर्सेज हैंं जिनकी सहायता से आप प्रिंट मीडिया के लिए योग्य बन सकते हैंं और किन कोर्सेज को करने के बाद आप इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैंं। कुछ कोर्सेज निम्नलिखित हैंं जो कि आपकी सहायता कर सकते हैंं कि कैसे आप प्रिंट मीडिया में अपना करियर बना सकते हैंं;
- बैचलर ऑफ मास मीडिया
- बैचलर ऑफ साइंस इन प्रिंट मीडिया
- बैचलर ऑफ आर्ट्स इन प्रिंट मीडिया
- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन
- एमबीए/पीजीडीएम इन प्रिंट मीडिया
- मास्टर ऑफ आर्ट्स इन प्रिंट मीडिया
- मास्टर ऑफ़ साइंस इन प्रिंट मीडिया
- मास्टर इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन
प्रिंट मीडिया के लिए विश्व के बेस्ट कॉलेजेस जो कि आपको बेहतर मार्गदर्शन दे सकते हैंं कि निम्नलिखित हैं;
- यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया
- यूनिवर्सिटी ऑफ एम्स्टर्डम, नीदरलैंड
- यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कैलिफोर्निआ, यूएसए
- द यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, कनाडा
- डबलिन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूके
- द यूनिवर्सिटी ऑफ सिड्नी, ऑस्ट्रेलिया
- कोलंबिया यूनिवर्सिटी, यूएसए
Print media kya hai यह आपने जाना, इसका इतिहास, इसके लोकहित में किये गए योगदान, इसके लिए बेस्ट कोर्सेज और विश्व के टॉप कॉलेजेस जहाँ से आप इसकी पढ़ाई कर सकते हैं, अब बारी हैंं यह जानने की कि भारत के बेस्ट कॉलेजेस कौन से हैंं जहाँ से आप अपने करियर के रूप में प्रिंट मीडिया को चुन सकते हैं, जो कि निम्नलिखित हैंं :
- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
- एशियाई कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म, चेन्नई
- मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, मणिपाल
- सीबीओसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, पुणे
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नयी दिल्ली
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड नई मीडिया, बैंगलोर
प्रिंट मीडिया में अपना भविष्य बनाने के लिए आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आपको इससे संबंधित कोर्स को करने के लिए किन पैमानों पर खुद को परखना होगा जहाँ आप खुद को इसके योग्य बना सकें। Print media kya hai के इस ब्लॉग से आप यह भी जान पाएंगे कि आखिर योग्यता क्या हैं? निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आप इसके योग्यताओं के बारें में जान पाएंगे:
- समाज को देखने का नजरिया विस्तृत होना चाहिये।
- अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स होनी चाहिये।
- सच को सच कहने, सुनने और लिखने का साहस होना चाहिये।
- बैचलर्स कोर्सेज में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से किसी भी स्ट्रीम में 12वीं कक्षा पास करना अनिवार्य हैं।
- न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ ग्रेजुएट की डिग्री आवश्यक हैं।
- मास्टर्स कोर्सेज के लिए उम्मीदवार का किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या कॉलेज द्वारा किसी भी स्ट्रीम में बैचलर्स डिग्री प्राप्त करना अनिवार्य हैं।
- मास्टर्स कोर्सेज में एडमिशन के लिए विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में भाग लेकर आप कोर्स के लिए योग्य हैं।ता
- विदेश की कुछ यूनिवर्सिटीज में मास्टर्स के लिए GRE स्कोर अनिवार्य होता हैं।
- साथ ही विदेश के लिए आपको IELTS या TOEFL स्कोर की भी आवश्यकता होती हैं।
- विदेश के विश्वविद्यालयों के लिए SOP , LOR , CV/रिज्यूमे और पोर्टफोलियो भी अनिवार्य होते हैं।
प्रिंट मीडिया कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए आवेदन प्रक्रिया
प्रिंट मीडिया में अपना करियर बनाने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया को फॉलो करने के बाद आप एडमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं:
- आपको सही कोर्स चुनना है, जिसके लिए आप AI Course Finder की सहायता लेकर अपने पसंदीदा कोर्सेज को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं।
- एक्सपर्ट्स से कॉन्टैक्ट के पश्चात वे कॉमन डैशबोर्ड प्लेटफॉर्म के माध्यम से कई विश्वविद्यालयों की आपकी आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे।
- अगला कदम अपने सभी दस्तावेजों जैसे SOP , निबंध (essay), सर्टिफिकेट्स और LOR और आवश्यक टेस्ट स्कोर जैसे IELTS , TOEFL , SAT , ACT आदि को इकट्ठा करना और सुव्यवस्थित करना है।
- यदि आपने अभी तक अपनी IELTS , TOEFL , PTE , GMAT , GRE आदि परीक्षा के लिए तैयारी नहीं की है, जो निश्चित रूप से विदेश में अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण कारक है, तो आप Leverage Live कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। ये कक्षाएं आपको अपने टेस्ट में उच्च स्कोर प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण कारक साबित हो सकती हैं।
- आपका एप्लीकेशन और सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद, एक्सपर्ट्स आवास, छात्र वीज़ा और छात्रवृत्ति / छात्र लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे ।
- अब आपके प्रस्ताव पत्र की प्रतीक्षा करने का समय है जिसमें लगभग 4-6 सप्ताह या उससे अधिक समय लग सकता है। ऑफर लेटर आने के बाद उसे स्वीकार करके आवश्यक सेमेस्टर शुल्क का भुगतान करना आपकी आवेदन प्रक्रिया का अंतिम चरण है।
- सबसे पहले अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करें।
- यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक यूजर नेम और पासवर्ड प्राप्त होगा।
- फिर वेबसाइट में साइन इन के बाद अपने चुने हुए कोर्स का चयन करें जिसे आप करना चाहते हैं।
- अब शैक्षणिक योग्यता, वर्ग आदि के साथ आवेदन फॉर्म भरें।
- इसके बाद आवेदन फॉर्म जमा करें और आवश्यक आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
- यदि एडमिशन, प्रवेश परीक्षा पर आधारित है तो पहले प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करें और फिर रिजल्ट के बाद काउंसलिंग की प्रतीक्षा करें। प्रवेश परीक्षा के अंको के आधार पर आपका चयन किया जाएगा और लिस्ट जारी की जाएगी।
अभी तक आप यह समझ चुके होंगे कि यह प्रोफेशन आपके लिए रोजगार के नए आयाम खोल सकता हैं, आप इसमें अपना आवेदन भी करना चाहते होंगे जिसके लिए आपको आवश्यक दस्तावेजों के बारें में पता होना अनिवार्य हैं, यदि आप भारत के बाहर किसी भी देश से इसका अध्यन करते हैंं तो आपको किस प्रकार के दस्तावेज चाहिए होंगे वो भी निम्नलिखित हैंं :
- आधिकारिक शैक्षणिक ट्रांसक्रिप्ट
- स्कैन पासपोर्ट की कॉपी और फोटो
- IELTS या TOEFL , आवश्यक टेस्ट स्कोर
- प्रोफेशनल/एकेडमिक LORs
- निबंध (यदि आवश्यक हो)
- पोर्टफोलियो (यदि आवश्यक हो)
- अपडेट किया गया सीवी/रिज्यूमे
- एक पासपोर्ट और छात्र वीजा
कुछ निम्नलिखित परीक्षाएं हैं जिसमें आप आवेदन करके प्रिंट मीडिया का अध्यन कर सकते हैंं। BJMC के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाएं नीचे दी गई हैं :
Print media kya hai यह तो आप पूरी तरह से जान ही चुके हैं अब आप जानेगें कुछ ऐसी किताबों के बारे में जो प्रिंट मीडिया में आपका भविष्य बनाने में आपकी सहायता कर सकती हैंं :
प्रिंट मीडिया की सम्पूर्ण जानकारी लेने के बाद आपको यह भी जान लेना चाहिए कि प्रिंट मीडिया में पढ़ाई करने या जॉब पाने वालों के लिए भविष्य में क्या स्कोप हैं, प्रिंट मीडिया के स्कोप के बारें में आपको यह भी जानना होगा कि आखिर क्यों प्रिंट मीडिया अन्य किसी जॉब से अलग हैं? इसका जवाब भी इसमें ही छिपा हैंं क्योंकि यह पत्रकारिता जगत की उन चुनिंदा जॉब्स में से हैंं जो अपने ट्रेडिशनल तरीके से आज तक ख़बरों की छपाई करके उनका आदान प्रदान करती हैंं। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आप प्रिंट मीडिया के स्कोप के बारें में जानेंगे :
- प्रिंट मीडिया मुख्यतः दो भागों में काम करती हैंं एक रिपोर्टर के रूप में जो ख़बरों को ग्राउंड से लाते हैंं और दूसरे संपादक के रूप में जो ख़बरों को आकर्षित व उचित शब्दों के साथ आकर्षक बनाता हैं।
- एडिटर के रूप में आप चीफ एडिटर, एडिटर, असिस्टेंट एडिटर, न्यूज़ एडिटर, चीफ सब एडिटर, सीनियर डुप्टी एडिटर और डुप्टी एडिटर आदि पदों पर रोजगार पा सकते हैं।
- रिपोर्टर के रूप में भी आप इसमें अच्छी ग्रोथ कर सकते हैंं जिसके लिए आपका प्रिंट मीडिया के विषयों पर पकड़ व प्रिंट मीडिया से की गयी पढ़ाई की डिग्री अनिवार्य होती हैं।
- लीग से हटकर यदि आप में कार्टून के माध्यम से ख़बरों को दिखने का हुनर हैंं तो आप कार्टूनिस्ट भी बन सकते हैं।
- मुख्यधारा से परे जाकर यदि सोचा जाए तो आप कंप्यूटर ऑपरेटर, प्रूफरीडर, डिज़ाइनर, पेज सेटर आदि के पदों में भी अपना लोहा मनवा सकते हैं।
- क्रिएटिव राइटर, कम्युनिकेशन मैनेजर या लेखक के रूप में भी आप अपना करिएर बना सकते हैंं। हालाँकि कुछ लोगों का मानना हैंं कि प्रिंट मीडिया धीरे धीरे विलुप्त हो जाएगी, जबकि ऐसा नहीं हैंं क्योंकि रीज़नल भाषाओं और हिंदी भाषा में प्रिंट मीडिया की आज भी कोई जगह नहीं ले पाया हैंं।
यह भी पढ़ें : पत्रकार कैसे बनें?
निम्नलिखित जॉब्स प्रोफाइल्स और सैलरी के माध्यम से आप यह जान पाएंगे कि प्रिंट मीडिया में किन जॉब प्रोफाइल्स के साथ लगभग कितनी सैलरी मिलती हैंं जो कि अनुमानित सालाना सैलरी है :
नोट- payscale के अनुसार उपरोक्त सैलरी को उल्लेखित किया गया है हालाँकि सैलरी का निर्धारण आपके कौशल और अनुभव पर होता है।
प्रिंट मीडिया एक ऐसा साधन हैंं जो ख़बरों का आदान प्रदान लिखित रूप से या चित्रण के माध्यम से करता हैंं और जिसके लिए रीडर को पे भी करना होता हैं, यह हमें पत्रिका या समाचार पत्र के माध्यम से देश-विदेश की खबरें देकर हमें अपडेट करता हैं।
प्रिंट मीडिया के लिए मुख्यतः समाचार पत्र, किताबें, पत्रिका, होर्डिंग आदि प्रकार के साधन प्रमुख हैंं।
प्रिंट मीडिया जनसंचार के विश्वसनीय माध्यमों में से एक हैं, यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आगमन के बाद भी जनसंचार का एक महत्वपूर्ण साधन हैं।
प्रिंट मीडिया में रिपोर्टर के रूप में कार्य करने के लिए ग्रैजुएशन लेवल का कोई भी जर्नलिज्म पर आधारित कोर्स या बैचलर ऑफ जर्नलिज्म के रूप में शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए।
आशा हैंं कि आपको print media kya hai पर आधारित यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर आप प्रिंट मीडिया कोर्स विदेश में करना चाहते हैं तो आज ही Leverage Edu एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कॉल करके 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें।
मयंक विश्नोई
जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई
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Print Media क्या है, उत्पत्ति, विकास एवं आगमन
Print Media एक ऐसा साधन है जिसके तहत किसी भी प्रकार की सूचनायें विस्तृत की जाती हैं जो कि लिखित रूप से होती हैं। सूचनाओं को विभिन्न प्रकार के माध्यम से विस्तृत किया जाना ही प्रिंट मीडिया या समाचार पत्र तथा पत्रिका आदि कहलाता है।
प्रिंट मीडिया ने भारत को स्वतंत्रता प्रधान करने में और उसे चलाने के लिए संविधान बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी जैसे-
- चौरी चौरा, सत्याग्रह आदि जैसे आंदोलनों को भारत की जनता को विस्तृत करने में अपनी भूमिका निभाई।
- आजादी के लिए की जा रही प्रतिक्रियाएं को जनता को सूचित किया है जाता था।
- प्रिंट मीडिया के माध्यम से भारत में विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर प्राप्त है।
- प्रिंट मीडिया में प्रचलित कुछ लोक दैनिक समाचार पत्र
- दैनिक जागरण
- अमर उजाला इत्यादि।
हिंदुस्तान जैसे कई प्रचलित समाचार पत्र हैं जो की प्रिंट मीडिया में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं जिनके माध्यम से किसी भी सूचना को जनता तक पहुँचायें जा सकता है।
Print Media का विकास :
अमेरिका में प्रिंट मीडिया देर से आया लेकिन इसके बावजूद भी अमेरिका में प्रिंट मीडिया का विकास बहुत ही तेजी से होने लगा।
प्रिंट मीडिया का विकास और भी अधिक तेजी से इसलिए हुआ क्योंकि विश्वयुद्ध के दौरान दूसरे देशों को अपने पक्ष में करने के लिए और उसके दौरान हो रहे क्षति की सूचना को देने के लिए अनेक देशों को प्रिंट मीडिया का सहारा लेना पड़ा।
2008 में एक पुस्तक लिखी गई जोकि जेफ्फ गोमेज़ ने लिखी जिसका नाम प्रिंट इस डेड था इसमें उनके विचारों के अनुसार प्रिंट मीडिया के लुप्त होने की संभावना जताई थी।
इनके अलावा एक और व्यक्ति जिनका नाम रोस डावसन उनका मानना था कि प्रिंट मीडिया किस प्रकार विलुप्त हो जाएगी उन्होंने इसका एक चार्ट रूपी चित्र बनाया उनके अनुसार उसमें 2017 से लेकर 2040 तक अमेरिका जैसे संयुक्त देश और विश्व से समाचार पत्र विलुप्त हो जाएंगे।
प्रिंट मीडिया का आगमन :
प्रिंट मीडिया अनेक सालों से प्रचलित है पहला आविष्कार जिसने प्रिंट मीडिया को प्रक्षेपण मैं भूमिका निभाई वह लगभग 1440 जोहंस गुटेनबर्ग द्वारा प्रिंट प्रेस था और 600 वर्षों में प्रिंट मीडिया सूचना समाचार के रूप में विस्तृत हुआ।
हालांकि भारत में छपी पहली पुस्तक 1578 मैं कृष्णा थी।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1674 मैं मुंबई में प्रिंट प्रेस की स्थापना की इस प्रकार धीरे-धीरे प्रिंट प्रेस भारत के सभी राज्यों में विस्तृत हो गया।
भारत में मीडिया का विकास :
भारत मैं 19 फ़ीसदी मैं आए औपनिवेशिक हुकूमत के तहत भारत की रूपरेखा में बदलाव और फैली अशांति जो भारत के लिए चुनौती के सामान थी उसी उपरांत प्रिंट मीडिया को दो स्तंभों मैं बांट दिया एक वह जो औपनिवेशवादी और दूसरे वह भारत के महापुरुष जो आजादी को प्राप्ति के लिए लोहा ले रहे थे।
विश्व भर में लोहा लेने वाले क्रांतिकारी और भारत के आंदोलन और अभियान में मुख्य भूमिका निभाई।
प्रिंट मीडिया का पतन :
आगर आप देखेंगे तो इस समय ज्यादा तर सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता हे।
जिस कारण सब कुछ ऑनलाइन के ज़रिये किया जाता है।
या फिर वह किसी भी प्रकार का कार्य हो जिससे पता लगाया जाता हे कि प्रिंट मिडिया का पतन विभिन्न भागो में होता जा रहा हे जो की हस्त लेखन के लिए अधिक हानिकारक हो सकता है।
जिस प्रकार अन्य मिडिया का उपयोग किया जा रहा हैं जिस कारण आज की और आने वाली पीढ़ी को रोजगार का सामना करना पड़ सकता हे जिससे लोगो को वार्तालाप करने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
इन्हे भी पढ़े :
- कम्प्यूटर क्या है
- Modem किसे कहते है ।
- आग क्या है, आग कैसे काम करती है।
- बीमा क्या है, बीमा से फायदें।
अंतिम शब्द :
आशा करता हूँ की आपको Print Media की जानकारी सही लगी होगी।
यदि सही लगे तो दोस्तों को भेजें।
कोई प्रश्न है तो हमें कमेंट करें।
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विज्ञान, संस्कृति, शिक्षा, मनोविज्ञान, खेल और एक स्वस्थ जीवन शैली।
प्रिंट मीडिया सुविधाएँ, फायदे, नुकसान और उदाहरण
प्रिंट मीडिया लिखित या चित्रात्मक संचार का कोई भी रूप है, जो प्रिंटिंग या फोटोकॉपी या डिजिटल तरीकों से यंत्रवत् या इलेक्ट्रॉनिक रूप से निर्मित होता है, जिसमें से स्वचालित प्रक्रियाओं के माध्यम से कई प्रतियां बनाई जा सकती हैं।.
विशेष रूप से, वे "स्याही और कागज" संचार का कोई भी रूप हैं, जो हाथ से नहीं लिखा या टाइप किया जाता है, जिसमें किताबें, परिपत्र, पत्रिकाएं, लिथोग्राफ, ज्ञापन, पत्रिकाएं, समाचार पत्र, ब्रोशर, पत्रिकाओं और मुद्रित सामग्री के अन्य रूप शामिल हैं।.
इसे उद्योग भी कहा जाता है जो पत्रिकाओं और समाचार पत्रों जैसे प्रकाशनों के माध्यम से मीडिया के मुद्रण और वितरण के लिए समर्पित है.
वे संचार के सबसे पुराने और सबसे बुनियादी रूपों में से एक हैं। आविष्कार और प्रिंटिंग प्रेस के व्यापक उपयोग से पहले, मुद्रित सामग्री को हाथ से लिखना पड़ता था.
सूचना और ज्ञान हस्तांतरण के प्रावधान में इन मीडिया का योगदान उल्लेखनीय है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आगमन के बाद भी, प्रिंट मीडिया ने अपना आकर्षण या प्रासंगिकता नहीं खोई है.
- १.१ व्यापक परिसंचरण
- 1.3 मुद्रित मीडिया का उत्पादन
- 4.1 समाचार पत्र
- ४.२ समाचार पत्र
- 4.3 पत्रिका
- 4.5 बिलबोर्ड
- 4.6 पुस्तकें
प्रिंट मीडिया का मुख्य उपयोग घटनाओं और समाचारों के बारे में जानकारी का प्रसार करना है, क्योंकि यह जनता तक पहुंचने का सबसे तेज़ तरीका है। इसके अलावा, वे पाठकों को भरपूर मनोरंजन प्रदान करते हैं.
यद्यपि डिजिटल मीडिया के विस्तार ने मुद्रण के उपयोग को प्रभावित किया है, यह विज्ञापन करने का एक व्यवहार्य तरीका है.
व्यापक परिसंचरण
समाचार पत्र सबसे आम प्रिंट मीडिया हैं। घर में वितरित या अखबार स्टैंड पर बेचा जाता है, समाचार पत्रों को दैनिक, साप्ताहिक या मासिक रूप से प्रकाशित किया जा सकता है.
समाचार और विज्ञापन दोनों के तेज, आर्थिक और मूर्त वितरण प्रदान करने का फायदा अखबार को होता है। आप एक रेडियो विज्ञापन से पिज्जा कूपन ट्रिम नहीं कर सकते.
दूसरी ओर, पत्रिकाएं समय-समय पर समाचार पत्र वितरित करती हैं: कवरेज और विशिष्ट घटनाओं का गहन विश्लेषण, न कि केवल दिन की खबर.
इन प्रिंट मीडिया के लिए, जानकारी पाठकों और संभावित ग्राहकों को आकर्षित करने का तरीका है.
मुद्रित मीडिया को क्लाइंट के हाथों में रखा जाना चाहिए, जो वह है जो सामग्री को पढ़ता है और घोषणाओं का जवाब देता है। ज्यादातर क्षेत्रों में, समाचार पत्रों को घर पर वितरित किया जाता है.
एक और तरीका है मेल द्वारा वितरित करना। वास्तव में, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, ब्रोशर और समाचार पत्रों की सामूहिक डिलीवरी कई देशों में डाक सेवा के सबसे महत्वपूर्ण राजस्व स्रोतों में से एक का प्रतिनिधित्व करती है।.
महान सार्वजनिक संपन्नता के स्थानों में डोर-टू-डोर वितरण और वितरण भी है: दुकानें, कार्यक्रम और व्यस्त फुटपाथ पर.
मुद्रित मीडिया का उत्पादन
चाहे प्रिंट माध्यम की एक लाख प्रतियां तैयार की जाती हैं, या एक स्थानीय स्टोर पर ली गई एक सौ प्रतियां, लक्ष्य एक ही है: मुद्रित सामग्री का उत्पादन करना जो गुणवत्ता के साथ मूल्य संतुलित करता है, और सामग्री के साथ संदेश।.
- प्रिंट मीडिया का गहरा रिपोर्ट और विश्लेषण के साथ पाठक के दिमाग पर अधिक प्रभाव पड़ता है.
- डिजिटल के संबंध में मुद्रण की मुख्य ताकत में स्पर्शनीयता, एक स्थायी संदेश और एक उच्च विश्वसनीयता है। कुछ लोग डिजिटल प्रारूपों के बजाय प्रिंट मीडिया को पढ़ना पसंद करते हैं.
- वे किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में फैलने का एक आसान माध्यम हैं। उदाहरण के लिए, एक स्थानीय समाचार पत्र किसी भी स्थानीय घटना के बारे में खबर फैलाने का सबसे अच्छा तरीका है.
- आकर्षक पत्रिकाएं हमेशा उपभोक्ताओं के साथ लोकप्रिय होती हैं। वे अक्सर एक विशेष अवधि में पढ़े जाते हैं। मासिक पत्रिकाएं किसी भी विज्ञापन पर ध्यान आकर्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है.
- प्रिंट मीडिया के कुछ रूपों का एक बड़ा अनुसरण है, क्योंकि वे विश्वसनीय हैं। पाठकों को आकर्षित करने के लिए यह एक महान आवेग है.
- वे प्रचार के लिए खुद का स्थान चुनने की अनुमति देते हैं। इसलिए, विज्ञापन की योजना बनाते समय बजट को प्रबंधित किया जा सकता है.
- यदि आप एक वैश्विक दर्शक की तलाश कर रहे हैं, तो यह उपयोग करने का साधन नहीं है। इसके बजाय, प्रिंट मीडिया की तुलना में इंटरनेट की व्यापक पहुंच है.
- प्रिंट मीडिया में विज्ञापन देने के लिए बहुत सारी योजना और समय की आवश्यकता होती है। इस मामले में, यह लचीलेपन की समस्या का सामना करता है, खासकर जब तंग समय सीमा में काम करता है.
- सुनवाई को संबोधित करने की बात आती है, तो कई सीमाएँ हैं, क्योंकि यह संभव है कि सुनवाई के लिए हर समय एक विशेष समाचार पत्र उपलब्ध न हो। दूसरी ओर, एक व्यक्ति कहीं से और किसी भी समय इंटरनेट का उपयोग कर सकता है.
- अन्य सभी विज्ञापनों और प्रकाशकों के बीच एक विज्ञापन खो सकता है। इसके अलावा, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का उपयोगी जीवन बहुत कम है, क्योंकि लोग पढ़ने के एक दिन बाद उन्हें फेंक देते हैं या उन्हें बचा लेते हैं.
समाचार पत्र
वे प्रिंट मीडिया के सबसे लोकप्रिय रूप हैं। वे घर पर वितरित किए जाते हैं या कियोस्क पर उपलब्ध होते हैं। यह लोगों के बड़े पैमाने पर जल्दी पहुंचने का सबसे किफायती तरीका है.
विभिन्न प्रकार के समाचार पत्र विभिन्न दर्शकों की सेवा करते हैं, और एक विशेष श्रेणी का चयन किया जा सकता है
समाचार बुलेटिन
वे प्रकाशन हैं जो एक मुख्य विषय को कवर करते हैं। लोगों को मुफ्त में कई बार न्यूज़लेटर्स की सदस्यता लेनी पड़ती है.
उन्हें पड़ोस, समुदायों और समूहों के लिए जानकारी के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है, जिनकी किसी विशेष विषय या घटना में रुचि है। उनका उपयोग प्रचार उद्देश्यों, राजनीतिक अभियानों या कारणों के लिए भी किया जाता है.
वे विभिन्न विषयों पर विस्तृत लेख प्रदान करते हैं, जैसे कि भोजन, फैशन, खेल, वित्त आदि। वे समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। उनमें से कई दुनिया भर में बेचे जाते हैं.
वे कपड़े या कागज से बने होते हैं। उनका उपयोग नारे, लोगो या कुछ संदेश दिखाने के लिए किया जाता है.
उनका उपयोग ब्रांडों का विज्ञापन करने, प्रदान किए जाने वाले उत्पादों या सेवाओं के नाम देने के लिए भी किया जाता है.
अधिकांश डिजिटल हो गए हैं, लेकिन वे प्रिंट मीडिया की श्रेणी में आते हैं: आखिरकार, विज्ञापन बिलबोर्ड पर मुद्रित होते हैं। संयोजन में ग्रंथों और ग्राफिक्स को शामिल करें, ताकि उन्हें अधिक आकर्षक बनाया जा सके.
वे मुद्रित मीडिया के सबसे पुराने रूप हैं, जिनका उपयोग संचार और सूचना के साधन के रूप में किया जाता है। वे लेखकों को किसी विशेष विषय के बारे में अपना ज्ञान फैलाने का अवसर प्रदान करते हैं.
इसमें विभिन्न विषयों, जैसे साहित्य, इतिहास, निबंध और कई अन्य विषय शामिल हैं, जो न केवल हमारे ज्ञान को बढ़ाते हैं, बल्कि हमारा मनोरंजन भी करते हैं.
पैम्फलेट्स के रूप में भी जाना जाता है, वे एक प्रकार की पुस्तक हैं जिसमें कंपनी या संगठन का विवरण होता है.
सामान्य तौर पर, ब्रोशर को दर्शकों के दिमाग में ब्रांड को रखने के लिए ले जाना होता है.
यह संभव है कि कुछ बड़ी कंपनियां विज्ञापन के लिए इस प्रकार के माध्यम का उपयोग नहीं करती हैं, लेकिन वे छोटे संगठनों के लिए व्यवसाय उत्पन्न करने के लिए बहुत उपयोगी हो सकते हैं। उन्हें स्पष्ट और आंखों को पकड़ने वाला होना चाहिए ताकि वे लोगों का ध्यान आकर्षित करें.
- स्टेला पेरी (2018)। प्रिंट मीडिया क्या है? Quora। से लिया गया: quora.com.
- विपणन बुद्धि (2018)। प्रिंट मीडिया के विभिन्न प्रकार: सभी अपने तरीके से प्रभावी। से लिया गया: marketingwit.com.
- बारबरा बीन-मेलिंगर (2018)। प्रिंट मीडिया का परिचय। से लिया गया: bizfluent.com.
- फेडेना (2014)। प्रिंट मीडिया के फायदे और नुकसान। से लिया गया: fedena.com.
- वेस्ले टकर (2017)। प्रिंट मीडिया के लक्षण क्या हैं? बिज़फ्लुएंट से लिया गया: bizfluent.com.
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Essay on media in hindi मीडिया पर निबंध.
Read an essay on Media in Hindi language for students. Media क्या है। Media क्यों ज़रूरी है। Explain the importance of media in Hindi. Most people find difficult to write an essay on media in Hindi language.
Essay on Media in Hindi
मीडिया और लोकतंत्र
मीडिया को लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ और मूलाधार कहकर संबोधित किया गया है। यह बात जहाँ एक ओर भारतीय समाज में मीडिया के महत्वपूर्ण स्थान को उजागर करने वाली है वहीं दूसरी ओर यह कथन भारतीय समाज में मीडिया की एक अत्यंत वांछित भूमिका को भी प्रत्यक्षतः रेखांकित करता है। अभिप्राय यहाँ अत्यंत स्पष्ट और सीधा है कि मीडिया को जहाँ भारतीय लोकतंत्र व्यवस्था में निरीक्षक का स्थान प्रदान किया गया है, वहीं उससे एक गहरी सामाजिकता और देश हित की प्रगाढ़ भावना की भी मांग की जाती रही है।
यह बात पूर्णत: सही और उपयुक्त कही जा सकती है कि भारतीय समाज में मीडिया को एक लोकतान्त्रिक स्थान प्राप्त हुआ है। किन्तु हम जिस तीव्र गति से उदारीकरण और भूमण्डलीकरण की स्थितियों और जीवन-परिस्थितियों को ग्रहण करते जा रहे हैं, मीडिया भी अपनी सामाजिकता की भूमिका को शनैः शनैः छोड़ने लगा है। अथवा यह बात कुछ इस प्रकार से भी कही जा सकती है कि इस व्यावसायिक और पूर्णत: व्यावहारिकता की मांग करने वाले समय और समाज में मीडिया के मूलभूत तत्वों के स्वरूप में भी परिवर्तन उभरने लगे हैं। इस बात को प्राय: आपने भी यदा-कदा अनुभव अवश्य किया होगा कि हमारा मीडिया अपनी गहरी सामाजिकता को छोड़ कर और बनावटी सामजिकता को आज लक्ष्य और अपना उद्देश्य बनाता जा रहा है।
इस बात से कोई भी समझदार इंसान अपनी असहमति कभी भी नहीं रख सकता कि हमारे समाज को जाग्रत और मुद्दों, समस्याओं एवं स्थितियों-परिस्थितियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने में हमारा मीडिया अपनी एक प्रधान और प्रभावशाली भूमिका अवश्य रखता है। किन्तु अगर वह अपनी इस महनीय भूमिका का निर्वाह पूरी सजगता और कर्तव्यबोध के साथ निरन्तर करता रहता है, तभी वह समाज के लिए अपना कोई उपयोगी मूल्य रखता है। अन्यथा उसका महत्व व्यावहारिक स्तर पर इस समाज के लिए शून्य ही रहेगा।
आज वैश्विक परिस्थितियां निरन्तर अति तीव्र गति से परिवर्तित हो रही हैं। पूंजीवादी मनोवृत्ति मानवीय संबंधो में लगातार धंसती चली जा रही है। इस परिवर्तित परिस्थिति ने मीडिया के सामाजिक चरित्र को भी कहीं न कहीं और किसी न किसी रूप से प्रभावित तो किया ही है।व्यावसायिकता का मीडिया जगत में इधर कुछ वर्षों से लगातार बोलबाल ही बढ़ता चला जा रहा है। इससे खबरें और मीडिया द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली रिर्पोटे प्राय: किसी न किसी रूप में प्रभावित होती रहती हैं। इससे मीडिया चैनलों के धन्नासेठों को अनेक आर्थिक और राजनैतिक फायदे तो अवश्य होते हैं, किन्तु समाज में जिन में मीडिया के प्रति गम्भीरता से लगाव और आकर्षण होता है, भ्रांतिया पैदा होती हैं। उनमें भटकाव और समस्याओं एवं युद्धों के प्रति एक प्रकार की दूषित मनोदृष्टि और हानिकारक दृष्टिकोण पैदा होता है। वस्तुत: आज हमारे समाज का कुछ एक मीडिया इसी प्रकार के कार्य कर रहा है।
अनेकसमाजशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों ने सामाजिक जागरूकता एवं परिवर्तन की व्यापक भूमिका के निर्वाह के संदर्भ में मीडिया की अविस्मरणीय भूमिका और उपयोगिता को स्वीकार किया है।
आज का संचार का युग है। सारा विश्व किसी एक ही सूत्र में पिरोया हुआ प्रतीत होने लगा है। इस कार्य को करने में मीडिया की भी एक उल्लेखनीय भूमिका रही है। उन्होंने बृहद समाज को इसके लिए अपने-अपने स्तर पर अनुकूलित करने का महनीय कार्य संपन्न किया है। किन्तु जैसा कि कहा जा चुका है कि व्यावसायिकता और पूंजीवादी-मनोवृति की अविस्मरणीय रूप से उदघाटित होती केन्द्रीयता से आज मीडिया के सामाजिक-चरित्र और सामान्य जनता के प्रति उसकी पक्षधरता का निरन्तर स्खलन होता जा रहा है। आज मीडिया इस प्रकार के मुद्दों और समस्याओं का चयन और संकलन करने पर बल देने लगा है, जिनसे विसंगतियों और कुरीतियों की जड़ें और मजबूत होने लगी हैं। जबकि मीडिया की जिम्मेदारी और उसका नैतिक कर्तव्य सामाजिक जीवन को सुन्दर बनाना होना चाहिए।
अत: आज मीडिया को स्वयं अपने चरित्र का आत्म विश्लेषण करना होगा, और अपनी सामाजिकता की रक्षा किसी भी प्रकार से करनी ही होगी, तब जाकर उसका पद ‘लोकतंत्र का स्तम्भ’ कहलाने लायक बना रह सकेगा।
मीडिया की नई धार
मीडिया पिछले पन्द्रह वर्षों में अपने आप में जबरदस्त बदलाव लाया है। इसने अपने शक्ल और विषय वस्तु में ही नहीं अपितु उद्योग में भारी परिवर्तन किये हैं।
मीडिया जगत का स्वरूप पहले एक छोटे व्यवसाय और लघु उद्योग की तरह था, लेकिन आज के समय में यह शेयर बाजार का खिलाड़ी बन गया है। सन् 2000 में जो अखबार विज्ञापन के लिए तरस रहे थे, जिनकी तरफ कोई विशेष ध्यान नहीं देता था, वे आजकल खुद बड़े पैमाने पर विज्ञापनदाता बन गए हैं। इस साल जब जी और भासकर वालों का अखबार डीएनए और हिन्दुस्तान टाइम्स का मुंबई से प्रकाशन शुरू हुआ, तो सभी ने बहुत जोर से विज्ञापनबाजी की। जिस व्यवसाय का प्रबंधन परिवार से जुड़े हुए पुराने व्यवस्थापकों के हाथों में होता था, वे आजकल देश के सबसे बड़े कन्जूमर्स मल्टीनेशनल्स से अपने मैनेजरों को प्रशिक्षित कर रहे हैं और भारतीय प्रबंधन संस्थान जैसी संस्थाओं से अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं।
पिछले साल एचटी मीडिया लिमिटेड कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई। उससे पहले, 2004 में, आंध्रप्रदेश की डेक्कन क्रोनिकल। और अब 2006 में दैनिक जागरण की माह कंपनी, जागरण प्रकाशन ने आईपीओ जारी किया हैं। टीवी में सिर्फ प्रसारण कंपनियां ही नहीं, बालाजी टेलीफिल्म्स जैसी सॉफ्टवेयर उत्पादक कंपनियाँ भी शेयर बाजार में उतर रही हैं।
इसका प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा में हो रही वृधि है। प्रतिस्पर्धा में वृद्धि की वजह से बिना विस्तार के जिंदा रहना मुश्किल हो गया है। और विस्तार के लिए अधिक पैसा सूचीबद्ध होकर ही इकट्ठा किया जा सकता है।
आजकल मीडिया कंपनियों के शेयरों को स्टॉक मार्केट में बहुत अच्छा मूल्य मिल रहा है। शेयर बेचकर निवेश के लिए पैसे का जुगाड़ करना आसान हो गया है। पर आर्थिक रूप से मजबत कंपनियां ही सूचीबद्ध हो सकती हैं। जो मीडिया कंपनियां लाभ नहीं कमा पाईं। उनके लिए यह विकल्प नहीं है। इस साल कुछ टीवी चैनलों ने ज्यादा लाभ नहीं कमाया, पर उनके शेयर बाजार में बहुत तेजी पर हैं। आश्चर्य की एक और बात यह है कि टीवी कंपनियों की ऊंची टीआरपी का शेयर मूल्य से कोई सीधा ताल्लुक नहीं।
आज से अगर बीस साल पहले देखा जाए तो अखबार अपनी कीमत रियल स्टेट या जमीन और राजनीतिक प्रभाव से आंकते थे। इंडियन एक्सप्रेस के रामनाथ गोयनका पर आधारित किताब ‘वारियर आफ दि फोर्थ स्टेट’ पढ़कर यह स्पष्ट होता है कि रामनाथ जी बहुत पहले समझ गए थे कि रियल स्टेट अखबार वालों के लिए कितना महत्व रखता है। उन्होंने कई बड़े शहरों में जमीन खरीदीं और जब मुश्किल सामने आई, जैसे आपातकाल के दौरान, तो इन पर बनी इमारतों के किराए से गुजारा हुआ। लेकिन अब जमाना बदल गया है, और उसके साथ मीडिया उद्योग बदल रहा है। जब मीडिया शेयर बाजार का खिलाड़ी बन जाता है, तो पत्रकारिता पर पड़ने वाले असर का कई जवाब हो सकता है। अगर आपको अच्छे परिणाम दिखाने हैं, तो खुब विज्ञापन मिलना चाहिए और अगर विज्ञापन पर जोर है, तो ज्यादा विज्ञापन करने वाली कंपनियों के बारे में प्राय: कुछ नकारात्मक नहीं लिखा या दिखाया जा सकता है।
समाचार हासिल करने का स्वस्थ तरीका है, तेज तराई रिपोर्टिंग करो और अगर लोग बड़ी तादाद में चैनल देख रहे हैं, तो विज्ञापन आएगा और शेयर बाजार में कीमत बढ़ेगी।
मीडिया का ‘वाई’ फैक्टर
फैशन का ग्लैमरस शो – यह शीर्षक हिंदी के एक अखबार की एक खबर का था। इस शीर्षक में सिर्फ एक शब्द का हिंदी का है। मसला मिर्फ शीर्षक का नहीं है। सिर्फ खबर की भाषा ही नहीं इंगलिशिया रही है। वेलेंटाइन डे करीब दस साल पहले मीडिया के लिए कोई खास मौका नहीं हुआ करता था। अब टीवी मीडिया के लिए तो वेलेंटाइन डे विशिष्ट दिवस है। प्रिंट मीडिया भी इसकी लपेट से नहीं बचा है। पूरे पेज के मैसेज छपेंगे, कई अखबारो में । जिसमें प्रेमिका प्रेमी से कुछ कहेगी और प्रेमी प्रेमिका से कुछ कहेगा।
बात सिर्फ अंग्रेजी अखबारों की नहीं हो रही है। तमाम अखबार जैसे बेटों और बेटियों के हो गये हैं, पापाओं और मम्मियों को उनसे समायोजन करने में थोड़ी सी दिक्कत आ रही है। यही तो मीडिया का ‘वाई’ कारक है। वाई अर्थात यूथ यानी युवा, तब मीडिया के लिए वाई तत्व महत्वपूर्ण क्यों हो रहा है, इसका जवाब भारतीय जनसंख्या के ढाँचे में छिपा है। इस देश की करीब 54 प्रतिशत जनसंख्या अभी 25 साल की उम्र के बीच हैं। मार्केटिंग के हिसाब से देखें, तो अखबारों पर युवा-प्रिय होने के ठोस दबाव हैं। मीडिया मार्केटिंग का तर्क बताता है कि मीडिया चाहे प्रिंट हो अथवा टीवी, एक आदत की तरह होता है। जिनकी उम्र करीब चालीस साल है उन्हें अगर कोई अखबार अथवा टीवी चैनल अपना ग्राहक बनाये, तो औसत तौर पर यही उम्मीद कर सकता है कि करीब बीस साल तक वह उनका ग्राहक रहेगा। अर्थात् साठ की औसत आयु में वह ग्राहक ऊपर पहुँच जायेगा। चालीस के व्यक्ति को ग्राहक बनाने का प्रतिफल बीस साल मिलेंगे। बीस साल के नौजवान को अगर ग्राहक बनाया जाये, तो वह अखबार के साथ करीब चालीस साल तक रह सकता है।
यह अनायास नहीं है कि अब से करीब दस साल पहले ही कुछ अखबारों ने आठ-दस साल के बच्चों को भी अपना लक्ष्य बनाना शुरू किया था। तमाम स्कूलों में लगभग मुफ्त अखबार वितरण नीति सामने आयी। आठ साल का बच्चा अगर चार साल तक मुफ्त अखबार देखे, तो अखबार उसकी आदत बन सकता है। आठ साल के बच्चे को पकड़ो, तो वह अखबार का ग्राहक ज्यादा लंबे समय तक बना रह सकता है। बेटे टाइप अखबार क्या हैं? बेटे-बेटी टाइप खबरें क्या हैं? कुछ मौज-मसाला हो। कुछ फड़कते हुए एसएमएस हों। कुछ फैशन के ग्लैमरस शो हों। कुछ पॉप शो हों। कुछ युवा केन्द्रित रियलटी शो हों। वैलेंटाइन की मैसेजबाजी हो। रोज ही मैसेज करने का स्कोप हो। भाषा ऐसी हो जो समझ में आए। शुद्ध हिंदी नहीं, इंगलिश और क्षेत्रीय भाषा मिश्रित हिंदी। तमाम महानगरों और छोटे नगरों में पब्लिक स्कूलों और कॉनवेंट स्कूलों की करामत से ऐसे बच्चे और नौजवान तैयार हुए हैं, जिन्हें अंग्रेजी के दरवाजे से दाखिल हिंदी ही समझ में आती है, ऐसी समझ रखने वालों को अब अपमार्केट कहा जाता है। ऐसा अपमार्केट ही विज्ञापनदाता का अभीष्ट है।
ऐसा नहीं है कि सारे अखबार इन सारे तत्वों का ध्यान रखते हैं। पर जो ध्यान नहीं रखते, वे देर-सबेर नंबर वन अथवा मुख्य धारा की दौड़ में नहीं रहेंगे। बेटा टाइप अखबार का मतलब यह कि खबर और भाषा ऐसी हो, जो युवाओं को आकर्षित कर सके। यानी ऐसी भाषा का अखबार ‘सीपी में फेस्ट’ अर्थात कनॉट प्लेस में फेस्टीवल। युवा अधीर है। फेस्टीवल पुरा बोलने में दिक्कत है। फेस्ट काफी है।
भविष्य का शीर्षक यह हो सकता है- ‘पीएम का सेंटी स्पीच’ अर्थात प्राइममिनिस्टर ने सेंटीमेंटल भाषण दिया। एसएमएस ने संक्षिप्तीकरण की नयी स्वीकार्य पद्धति विकसित कर दी है।
युवा के पास टाइम नहीं है। खबरें, लेख संक्षिप्त से संक्षिप्ततर होते जा रहे हैं। अंग्रेजी के एक अति गंभीर अखबार ने लेखकों के लिए निर्देश लिखे हैं कि 1500 शब्दों के लंबे लेख हम नहीं छाप सकते। 1500 शब्दों का लेख अब लंबा हो गया है। सात सौ आठ सौ शब्दों से ज्यादा का मामला नहीं चलेगा। आगामी पांच सालों में यह सीमा पाँच सौ शब्दों तक सिकुड़ सकती है। यह मीडिया का वाई तत्व है।
इस देश में छोटे शहरों में रहने वाले ऐसे नौजवानों की तादाद बहुत ज्यादा है। जिनका वेलेंटाइन डे, तमाम किस्म की फेस्टीवलबाजी से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि उनके पास पैसा नहीं है। आज की सच्चाई यह है कि जिनकी जेब में पैसा नहीं है। ऐसे युवा मीडिया के वाई तत्व के दायरे में नहीं आते।
Essay on television in Hindi
Essay on Newspaper in Hindi
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